यह निबंध लिखने से पहले हमारे कवि श्री रविन्द्र नाथ टैगोर द्वारा लिखा गया राष्ट्रीय गीत ।राष्ट्रीय - गीत वंदे मातरम्, वंदे मातरम्!सुजलाम्, सुफलाम्, मलयज शीतलाम्,शस्यश्यामलाम्, मातरम्!वंदे मातरम्!शुभ्रज्योत्सनाम् पुलकितयामिनीम्,फुल्लकुसुमित द्रुमदल शोभिनीम्,सुहासिनीम् सुमधुर भाषिणीम्,सुखदाम् वरदाम्, मातरम्!वंदे मातरम्, वंदे मातरम्॥ 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस आजादी यह एक ऐसा शब्द है जो प्रत्येक भारतवासी की रगों में खून बनकर दौड़ता है। स्वतंत्रता हर मनुष्य का जन्मसिद्ध अधिकार है। तुलसीदास जी ने कहा है 'पराधीन सपनेहुं सुखनाहीं' अर्थात् पराधीनता में तो स्वप्न में भी सुख नहीं है। पराधीनता तो किसी के लिए भी अभिशाप है। > > जब हमारा देश परतंत्र था उस समय