कहानी प्यार कि - 20

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" ये सब झूठ है हमने एसा कुछ भी नहीं किया है ..." जगदीशचंद्र अब भी अपने किए पर पर्दा डालने कि कोशिश कर रहे थे..। " कितना जूठ बोलेंगे आप ... ये मत भूलिए कि सच कभी ना कभी तो बाहर आ ही जाता है ..." मोहित ने कड़क लहज़े मे कहा..." कैसा सच ? और सब क्यों मान ले कि तुम जो सब को बता रहे हो वो सच है ? " जगदीशचंद्र फिर से बोले.." तो क्या करे ... कि सब को हमारी बात पर यकीन आ जाए...? हा ... एक काम करते है सब को सबूत