नक्षत्र कैलाश के - 5

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                                                                                                   5 हाथ पैर धोने के बाद वही पर सब चाय का आस्वाद लेने लगे। हमारा आज का ठहराव यही पर था। बाद में नदी किनारे घुमते, ताजी हवाओं का आनन्द उठाते, मन की लहरे उमड़ रही थी। अगर आपका मन बहते पानी में एक क्षण के लिए भी एकाग्र हो ज़ाए