नक्षत्र कैलाश के - 4

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                                                                                                  4. ओम नमः शिवाय की गुंजती हुई जयजयकार से 10.30 बजे गाडीयाँ छूट गई। हर यात्री जैसे अपने रिश्ते के बंधन से अब बाहर आने की कोशिश कर, वास्तविकता में आना चाह रहा था। विदाई में हिल रहे हाथों के साथ मन भी दोलायमान हो रहा थे, लेकिन धीरे धीरे वह