नक्षत्र कैलाश के - 3

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                                                                                              3. देखते देखते जाने का दिन आ गया ।एक आशंका भरी स्थिती में ही आँख खुल गई। आँख खुली तो ऐसा लगा की मैं किसी बंधन में जकड़ गई हूँ। यह बंधन तो माया का बंधन हैं। कितनी गहरी ममता थी उसमें। इससे निकल पाना असंभव लग रहा था। माया की जडे कितनी