अनिरुद्ध और किंजल संजना के कमरे के पास दीवाल के पीछे छुप गए.. मोहित अभी भी संजना के कमरे में था.." भाई तो अभी भी अंदर है ..." किंजल ने कमरे में झांकते हुए कहा.." तो तू कुछ करना ... एसे खड़े खड़े तो मे अकेला भी देख सकता था.." " मुझे कुछ सोचने तो दे .." " मुझे सुबह तक यहां वेट नहीं करना है किंजल .." " सुबह तक क्यों ? " " अब तुम सोचोगी तब तक सुबह तो हो ही जाएगी.. " ये सुनकर किंजल अनिरूद्ध को गुस्से मै घूरने लगी.." अब जा ना...." अनिरूद्ध ने