अग्निजा - 25

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प्रकरण 25 सुबह उठने के बाद यशोदा ने रणछोड़ दास द्वारा किए गए अत्याचार को छुपाने के लाख प्रयास किए लेकिन वह अपने शरीर के कितने जख्मों को छुपा पाती? दोनों हाथ, माथा, गला, पैर और...घाट-घाट का पानी पी चुकी शांति बहन कुछ बोली नहीं...लेकिन जयश्री ने मुंह खोला, “दादी, इसको चमड़ी को रोग हो गया है क्या..ऐसा होगा तो मैं इसके हाथ का बना खाना नहीं खाऊंगी...बता देती हूं।” यशोदा कुछ न कहकर रसोई घर में चली गई। उसका पोर-पोर दुख रहा था। शरीर तप रहा था और घाव जल रहे थे। यशोदा चुपचाप काम करती रही। उसको लंगडाते