आई हेट यू, पापा! -आनन्द विश्वास कबीर के घर से कुछ दूरी पर ही स्थित है सन्त श्री शिवानन्द जी का आश्रम। दिव्य अलौकिक शक्ति का धाम। शान्त, सुन्दर और रमणीय स्थल। जहाँ ध्यान, योग और ज्ञान की गंगा अविरल वहती रहती है। दिन-रात यहाँ वेद-मंत्र और ऋचाओं का उद्घोष वातावरण को पावनता प्रदान करता रहता है और नदी का किनारा जिसकी शोभा को और भी अधिक रमणीय बना देता है। और यहीं पर स्थित है एक वृद्धाश्रम। कुछ लोगों के लिये तो, यह आवश्यकता है, कुछ के लिये मजबूरी, लाचारी और विवशता। खुशी से तो खैर, यहाँ आना कौन