देवम की चतुराई -आनन्द विश्वास बहुत दिनों से देवम और उसकी मम्मी की इच्छा सोमनाथ-दर्शन की हो रही थी। पर कभी तो देवम के पापा के ऑफिस का काम, तो कभी देवम की पढ़ाई। बस, प्रोग्राम बन ही नहीं पाता था। पर इस बार तो सभी रास्ते साफ थे। कोई भी रुकाबट नहीं थी और ऊपर से श्रावण मास। उस ऊपर वाले की लीला ही निराली है। वैसे भी जब भोले बुलाते हैं तो कोई मुश्किल आती भी नहीं है और उनकी इच्छा के बिना तो पत्ता भी नहीं हिल पाता तो फिर आदमी की तो बिसात ही क्या है।