35 - नरक-स्थरली बड़े ही दुर्गल और बीहड़ रास्ते से एक गाड़ी चली आ रही है। उसके पीछे-पीछे टॉम और कई गुलाम बड़ी कठिनाई से मार्ग पार कर रहे हैं। गाड़ी के अंदर हजरत लेग्री साहब बैठे हुए हैं। पीछे की ओर माल-असबाब से सटी दो स्त्रियाँ बँधी हुई बैठी हैं। यह दल लेग्री साहब के खेत की ओर जा रहा है। यह जन-शून्य मार्ग मुसाफिरों के लिए वैसे ही कष्टकर था; पर स्त्री, पुत्र और पिता-माता से बिछुड़े हुए गुलामों के लिए तो यह और भी दु:खदायक था। इस दल में अकेला लेग्री ही ऐसा था, जो मस्त चला