टॉम काका की कुटिया - 33

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33 - गुलामों की बिक्री के हृदय-विदारक दृश्य "गुलामों के बेचने की आढ़त?" शायद यह नाम सुनकर ही लगे कि यह बड़ा विकट स्थान होगा और माल गोदामों की तरह न मालूम कितना अंधकार से भरा और मैला-कुचैला होगा। पर नहीं, यह बात नहीं है। सभ्यता की उन्नति के साथ-साथ लोग सभ्य प्रणाली और चतुराई से बुरे काम करना सीखते हैं। दासों का व्यापार करनेवाले इस बात की बड़ी फिक्र रखते थे कि मानव-संपदा, अर्थात जीवात्मा-रूपी माल के दाम बाजार में किसी प्रकार कम न आएँ। वे लोग बिकने के पहले गुलामों को अच्छा खाने और अच्छा पहनने को देते