31 - पिता-पुत्री का पुनर्मिलन समय किसी की बाट नहीं देखता। हफ्तों-पर-हफ्ते, महीनों-पर-महीने और वर्षों-पर-वर्ष निकले जा रहे हैं। संसार भर के नर-नारियों को अपनी छाती पर लादकर काल का प्रवाह अनंत-सागर की ओर दौड़ा जा रहा है। इवा की नन्हीं-सी जीवन-नौका भी अनंत-सागर में समा गई। दो-चार दिन घर-बाहर सभी ने शोक मनाया और आँसू बहाए, पर ज्यों-ज्यों समय बीतता गया, लोग अपने दु:ख को भूलते गए। सब अपने-अपने धंधों में लग गए। गाना-बजाना, खाना-पीना, सभी ज्यों-के-त्यों होने लगे। पर देखना यह है कि क्या सभी एक-से हैं? क्या सेंटक्लेयर के जीवन की गाड़ी भी उसी चाल से चल