Exploring east india and Bhutan... - Part 4

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Exploring east india and Bhutan....Chapter -4 “थोड़े से समय में कई बार अजनबी लोग पहली नज़र में ही अपने से क्यों लगने लगते हैं “ मानसी  की जिज्ञासा ने अंगड़ाई ली “अनदेखी राहों पर मिलने वाले अनजाने मुसाफिरों  को रिश्ता आज तक कोई नही समझ नही पाया “ विनीता भी इस अनबुझ पहेली को सुलझा ना सकी “ “चलो इस संयोग के और सुखद बनाते हैं “ मेने कहा फिर हमारी तीन सदसीय कैबिनेट में, तीन नहीं चार, भई इसमें विनोद की रजामंदी भी जरुरी थी ,फेसला हुआ की दार्जिलिंग  के आस पास के कुछ और व्यू पॉइंट्स का भ्रमण