आँख की किरकिरी - 31

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(31) गाड़ी यमुना के निर्जन तट पर सुंदर ढंग से लगाए एक बगीचे के सामने आ कर रुकी। महेंद्र हैरत में पड़ गया। किसका है यह बगीचा? इसका पता विनोदिनी को कैसे मालूम हुआ?  फाटक बंद था। चीख-पुकार के बाद बूढ़ा रखवाला बाहर निकला। उसने कहा - बगीचे के मालिक धनी हैं, बहुत दूर नहीं रहते। उनकी इजाजत ले आएँ तो यहाँ ठहरने दूँगा।  विनोदिनी ने एक बार महेंद्र की तरफ देखा। बगीचे के सुंदर घर को देख कर महेंद्र लुभा गया था - बहुत दिनों के बाद कुछ दिनों के लिए रुकने की उम्मीद से वह खुश हो गया।