प्रफुल शाह प्रकरण-1 ................. अरी यशोदा...इतना सुनते ही वह पीछे पलटकर देखती और उसके चेहरे से मुस्कान बिखरने लगती। अरी ओ यशोदा.. ये शब्द कान पर पड़ते ही उसका सारा ध्यान आ रही आवाज की ओर लग जाता। उसे ये शब्द थोड़े भाते भी थे। यशोदा दीदी...इस नाम को तीन बार पुकारे जाने के बावजूद, उसके दिमाग ने उनकी ओर ध्यान नहीं दिया। दरअसल, वह अपने इस असली नाम को सुनने की आदी नहीं थी। लेकिन, कम से कम इस समय तो वह अपना भूतकाल बिसरा कर अपने ही विचारों में खोई हुई थी। आने वाले शिशु के प्रेम में