तिलक को देखते ही वीर प्रताप अपनी कुर्सी से उठकर खड़े होने लगे। उन्हें ऐसा लग रहा था जैसे कि सामने कोई शीशा है जिसमें उनका भूतकाल का प्रतिबिंब नज़र आ रहा है। रुकमणी ने वीर का हाथ पकड़कर उन्हें नीचे बिठाते हुए कहा, "अरे आप खड़े क्यों हो गए?" "रुकमणी देखो कौन है यह लड़का? कितनी मिल रही है उसकी शक्ल मुझसे।" "मेकअप किया है उसका, आपकी तरह दाढ़ी मूँछ लगाई है, कभी-कभी ऐसा होता है किसी का चेहरा हमसे थोड़ा बहुत मिलता हो। फिल्मों में भी तो डुप्लीकेट होते हैं ना। पर आप यूँ खड़े क्यों हो गए