उस असुर की ख़ामोशी देखकर भोले बाबा अंतर्ध्यान होना ही चाहते थे कि वह कुटिल मुस्कान लिए हुए बोल पड़ा, "हे देवाधिदेव महादेव ! ठीक है। मैं आपको सृष्टि के नियमों को तोड़ने के लिए विवश नहीं करूँगा। मैं आपसे अमरता का वरदान नहीं माँगूँगा लेकिन फिर भी यदि आप मुझे कुछ देना ही चाहते हैं तो मुझे यह वरदान दीजिये कि मैं जिसके ऊपर भी अपना हाथ रख दूँ वह भस्म हो जाये।"कुटिल असुर की चालाकी या तो भोले बाबा समझ नहीं सके या फिर वर देने की उनकी विवशता रही हो, जो भी हो, भगवान ने उसे वर