घुटन - भाग ४

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वीर रागिनी के ख़्यालों में खोया हुआ था कि तभी उसके कानों में आवाज़ आई, "वीर उठो " वीर ने चमकते हुए जैसे ही आँखें खोलीं, उसके सामने अप्सरा की तरह खूबसूरत रुक्मणी खड़ी थी। रुक्मणी ने वीर के पास बैठकर उसके गाल पर एक प्यारा सा चुंबन कर दिया तो वीर ने उसकी सुंदरता पर मोहित होकर उसे अपनी बाँहों में भर लिया और रात की बेचैनी को भूलने की कोशिश करने लगा। रुक्मणी ने कहा, "क्या हुआ वीर, आज रात तुम बेचैन लग रहे थे। बार-बार करवटें बदल रहे थे, तबीयत तो ठीक है ना तुम्हारी?" "अरे रुकमणी