विविधा - 26

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26-मध्ययुगीन तहजीब का प्रतीक-हुक्का   सामन्तवादी विरासत हुक्का अब बीते दिनों की बात रह गयी है। तम्बाकू का रूप बीड़ी, सिगरेट हो गया है, लेकिन हुक्का महज तम्बाकू पीने का उपकरण नहीं था,एक पूरी जिन्दगी होता था हुक्का हजूर। हूक्का तहजीव, परम्परा और संस्कृति का प्रतिक हुआ करता था। एक कहावत प्रसिद्ध है कि सजा देने के लिए हुक्का पानी बन्द। आज भी किसी व्यक्ति की सबसे बड़ी सजा हूक्कापानी बन्द ही है। वास्तव में हुक्के, हुक्कमरानों, राजों, महाराजों, अमीर उमरावों, रंगीन रानियों बादशाहों की बैठकों और जनानी ड्योढ़ियों से जुड़े रहे हैं। लेकिन साहब वो हुक्का ही क्या जो गरीब