विविधा - 13

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13 यदि प्रधानमंत्री न बनते तो साहित्यकार बनते   राजनेता या चिन्तक नेहरू पर बहुत कुछ लिखा गया है मगर साहित्यकार नेहरू के बारे में बहुत कम जानकारी है। 1937 में कलकत्ता के ‘माडर्न रिव्यू’ में चाणक्य उपनाम से उन्होंने एक रिपोर्ताज में स्वयं के बारे में लिखा था, उसे फिर से देखिए-‘एक विशाल जुलूस, उसकी कार घेर कर नाचते कूदते चिल्लाते हजारों हजार लोग। वह कार की सीट पर अपने को ठीक से संभालते हुए खड़ा होता है-सीधी लम्बी आकृति देव पुरूश जैसी-उमड़ती भीड़ से एकदम असंप्रक्त। अचानक वही एक स्पश्ट हंसी और सारा तनाव जैसे घुल गया और