विविधा - 9

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9-मैं साहित्यकार को तीसरी ऑंख मानता हू -विष्णु प्रभाकर  विश्णु प्रभाकर हिन्दी के वरिश्ठ साहित्यकार हैं। पिछले पचास वर्शो से निरन्तर साहित्य साधना करते हुए उन्होंने चालीस से भी अधिक पुस्तकें लिखीं। साहित्य में वे बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं नाटक, कहानी, एकांकी, उपन्यास, जीवनी आदि कई विधाओं में उन्होंने समान अधिकार से लेखनी चलाई। ‘आवारा मसीहा’ तो उनकी श्रेश्ठ कृति के रूप में समादृत हुई ही साथ ही उनके अनेक नाटक और एकांकी भी आकाशवाणी और रंगमंच पर काफी लोकप्रिय हुए हैं।  21 जून, 1912 को जन्में, स्वतंत्रता संग्राम के सेनानी और गांधीवादी लेखकों में प्रमुख श्री प्रभाकर इन