5-साहित्य के शत्रु हैं सत्ता, सम्पत्ति और संस्था डॉ. प्रभाकर माचवे डॉ. हजारी प्रसाद द्विवेदी ने डॉ. माचवे के लिए लिखा है- ‘ श्री प्रभाकर मचवे हिन्दी के उन गिने चुने लेखकों में हैं, जिनकी सरसता ज्ञान की आंच से सूख नहीं गयी।’ वास्तव में डॉ. माचवे सहज-सरल हैं, गुरू गंभीर नहीं। वे एक बहुमुखी भारतीय साहित्कार हैं, केन्द्रीय साहित्य अकादमी के वे सचिव रह चुके हैं। रेडियो, भारतीय भाशा परिशद आदि से जुडे रहे हैं। संप्रति वे इंदौर से प्रकाशित हो रहे दैनिक पत्र चौथा संसार के प्रधान सम्पादक हैं उन्होंने हिन्दी, अंग्रेजी तथा मराठी में लगभग 80 पुस्तकें