विविधा - 4

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4-व्यंग्यकार यशवन्त कोठारी से साक्षात्कार  ‘व्यंग्य में बहुत रिस्क है।’  इधर जिन युवा रचनाकारों ने प्रदेश से बाहर भी अपनी कलम की पहचान कराई है, उनमें यशवन्त कोठारी अग्रणी हैं। नवभारत टाइम्स, धर्मयुग, हिन्दुस्तान आदि प्रसिद्ध पत्रों में श्री कोठारी की रचनायें सम्मान के साथ छप रही हैं।   3 माई, 1950 को नाथद्वारा में जन्मे श्री कोठारी जयपुर के राश्टीय आयुर्वेद संस्थान में रसायन शास्त्र के प्राध्यापक हैं।   व्यंग्य में उनकी पुस्तकें, कुर्सी-सूत्र, हिन्दी की आखिरी किताब, यश का शिकंजा, राजधानी और राजनीति, अकाल और भेडिये, मास्टर का मकान, दफतर में लंच, मैं तो चला इक्कीसवीं सदी में, बाल हास्य