चलो, कहीं सैर हो जाए... - 13

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सीढियाँ उतरते हुए बाएं किनारे पड़ने वाले मंदिरों में शीश नवाते हाथ जोड़ते हम लोग आगे बढ़ रहे थे।अब सीढियाँ ख़त्म होनेवाली थीं और आगे मंदिर जैसा कुछ लग नहीं रहा था। इसके विपरीत दायीं तरफ पानी का एक कुंड सा बना दिख रहा था और सामने सूखी हुई एक छोटी सी नदी थी जिसमें कहीं कहीं जलधारा बहती दिख रही थी।थोडा और आगे बढ़ने पर सीढियाँ समाप्त हो गयीं। वहीँ यात्रियों को बायीं तरफ जाने का निर्देश देनेवाला सूचनापट लगा हुआ था।सीढियाँ उतरकर पानी में से होते हुए हम लोग लगभग पचास फीट ही आगे बढे होंगे कि एक