जब भारत में कॉमर्सियल फ़िल्म बनाने की होड़ लगी हुई हो तब एक सीधी-सादी सपाट, साफ-सुथरी फ़िल्म बनाना काफ़ी बड़ा काम हैं। और फिर अपने आईडिया पर खरा उतरना और भी ज्यादा बड़ा काम हैं। अगर एक लाइन में अपनी बात कहूँ तो ये एक उम्दा फ़िल्म हैं। जिसकी तुलना बाकी फिल्मों से ना करकर इसके जैसी ही और फिल्मों से करनी होगी। पर समस्या यह हैं। कि क्या इस जैसी और फिल्में हमारे यहाँ पर बनी हैं। देखा जाए तो नहीं, पर इस बात से दरअसल फ़र्क़ भी नहीं पड़ता। क्योंकि ये फ़िल्म अपने आप में एक मास्टरपीस हैं।