बाहुबली के बाद से हमारे यहाँ के जितने भी डायरेक्टर पचास की उम्र के करीब हैं। और जो बड़े प्रोडक्शन हॉउस हैं। उन्हें इतिहास पर फ़िल्म बनाने का बुखार चढ़ा हुआ हैं। ताकि कोई ये ना कहें कि बताओ इतना पैसा हैं। और अभी तक ऐतिहासिक फ़िल्म नहीं बनाई। बस उसी परंपरा की ये एक फ़िल्म हैं। वैसे इसे फ़िल्म ना कहकर अच्छे-खासे पैसे खर्च करके किया गया प्रैंक ज्यादा कहें। तो अच्छा हैं। क्योंकि फ़िल्म तो बस इसे एक ही एंगेल से कहा जा सकता हैं। कि ये फ़िल्म चलाने के लिए बनाए गया थिएटर में दिखाई जा रही