इतिहास का वह सबसे महान विदूषक - 29

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29 लेकिन कौन संन्यास ले रहा है? राजा कृष्णदेव राय के दरबारी तेनालीराम को नीचा दिखाने की कोशिश करते थे, पर तेनालीराम की चतुराई के कारण हर बार उन्हें मुँह की खानी पड़ती। आखिर हारकर उन्होंने महारानी के कान भरे। एक पुराने दरबारी रंगाचार्य का गाँव की रिश्तेदारी के नाते महारानी से कुछ परिचय था। बस, उसे तेनालीराम से अपनी खुंदक निकालने का अच्छा मौका मिल गया। देर तक वह महारानी से तेनालीराम को लेकर बहुत कुछ उलटा-सीधा कहता रहा। फिर बोला, “महारानी जी, तेनालीराम अपने सामने किसी को नहीं गिनता। कह रहा था, राजा तो मुझे इतना चाहते हैं