जब भी हम समाज में कुछ अच्छा या बुरा घटते हुए देखते हैं तो उस पर..उस कार्य के हिसाब से हम अपनी अच्छी-बुरी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हैं या फिर करना चाहते हैं। अब अगर कभी किसी के अच्छे काम की सराहना की जाए तो जिसकी वो सराहना की जा रही है, वह व्यक्ति खुश हो जाता है। मगर इससे ठीक उलट अगर किसी के ग़लत काम की बुराई करनी हो तो या तो हम पीठ पीछे उसकी बुराई कर उससे झगड़ा मोल ले लेंगे या फिर ऐसा कुछ भी करने से गुरेज़ करेंगे कि..खामख्वाह पंगा कौन मोल ले? लेकिन जब