इतिहास का वह सबसे महान विदूषक - 10

  • 3.8k
  • 1.5k

10 पोलूराम की खुली पोल राजा कृष्णदेव राय का न्याय ऐसा था कि दूध का दूध, पानी का पानी हो जाता था। कोई कितना ही होशियार, छल-बल वाला या तिकड़मी क्यों न हो, दरबार में राजा कृष्णदेव राय के तर्क और बुद्धिमत्तापूर्ण न्याय के आगे उसकी बोलती बंद हो जाती थी। जो सच्चे और ईमानदार होते, उनके चेहरे खिल उठते। थोड़ी ही देर में सभी के मुँह से निकलता—“सच्चे का बोलबाला और झूठे का मुँह काला!” यों अकसर नेक और भले लोग राजा के दरबार में परेशान होकर आते, मगर हँसते हुए जाते थे। एक बार की बात, राजा कृष्णदेव