कुम्भ : जीवन में एक बार जरूरी है मैं और कुम्भ, ना ना, कभी नही जाऊंगा, पर गया, हुआ क्या, वही हुआ, जो सोचा ना था । गंगा यमुना सरस्वती का संगमसम्प्रदाय परम्परा श्रद्धा का संगमसागर की तरह ठाठे मारती गंगा यमुना की लहरें,अकल्पनीय जन समूह, एक साथ, ये सब अदभुत, अविश्वनीय,अकल्पनीय है । ये प्रयागराज में लगने वाला कुम्भ, अर्धकुम्भ है, इस अर्ध का अर्थ है आधा, हरिद्वार और प्रयाग में दो कुंभ पर्वों के बीच 6 साल के अंतराल में अर्धकुंभ का आयोजन होता है, वेसे इसे कुम्भ ही कहा जा रहा हैं । कलश को कुंभ कहा