ममता की परीक्षा - 32

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गोपाल नजदिक आ चुका था। परबतिया चाची उठते उठते अचानक रुक गई। उनके कानों में मास्टर रामकिशुन के स्वर गूँजने लगे थे, 'परबतिया भाभी, मैं स्कूल जा रहा हूँ। बच्चे अकेले हैं, जरा ध्यान रखना !' और फिर उन्होंने मन बना लिया था वहीँ कुछ देर और जमे रहने का।'पता नहीं कौन लड़का है, कैसा है, और फिर रामकिशुन ने कहा है देखभाल करने के लिए तो कुछ सोच समझकर ही कहा होगा। आजकल किसी का भरोसा नहीं किया जा सकता। जुग जमाना वैसे ही ख़राब चल रहा है। बिना माँ की लड़की है अपनी साधना बिटिया ! कहीं कुछ