लगभग डेढ़ महीने से भी ज्यादा हो गया अपनी छत पर आए हुए आज कितने दिनों बाद यहां से ढलते सूरज को देखा है..।न जानें कहा गुम हो गये वो पल ,ज्यादा सुख सुविधाएं होने पर हम बहुत सी चीजों से वंचित हो जाते है, हम पहले की तरह बिंदास नहीं रह पाते , आज के जमाने में एक बच्चा अपने मां - बाप के साथ जितना समय नहीं गुजारता जितना पहले आज वह मोबाइल फोन से अधिक जुड़ा है जिससे आत्मीय संबंध पहले की तरह नहीं हो पाते । वो भी क्या दिन थे अब भी दिन वही है