सपनों का शहर- जयश्री पुरवार

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अपने रोज़मर्रा के जीवन से जब भी कभी थकान..बेचैनी..उकताहट या फिर बोरियत उत्पन्न होने लगे तो हम सब आमतौर पर अपना मूड रिफ्रेश करने के लिए बोरिया बिस्तर संभाल.. कहीं ना कहीं..किसी ना किसी जगह घूमने निकल पड़ते हैं। हाँ.. ये ज़रूर है कि मौसम के हिसाब से हर बार हमारी मंज़िल..हमारा डेस्टिनेशन बदलता रहता है। कभी इसका बायस गर्म या चिपचिपे मौसम को सहन ना कर पाना होता है तो कभी हाड़ कंपाती सर्दी से बचाव की क्रिया ही हमारी इस प्रतिक्रिया का कारण बनती है। वैसे तो हर शहर..हर इलाके में ऐसा कुछ ना कुछ निकल ही आता