कागज की कश्ती

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शीर्षक :मजदूर-------------------------------------------------------------------------उम्र का कोई भी पडा़वमेहनतकश के आगेलाचार नहीं होता... ... ताकत है ,जब तक धमनियों मेंवह मेरुदंड का आधार नहीं होता.... "परिश्रम उसकी पूंजी हैआमदनी उसकी खुशियां"चवन्नी-अठन्नी कमा कर भीखुश रखना..उसके परिवार को आता है... जब भी वह थका हारा घर आता है.. गलास भर ठंडा पानी पीकरइत्मीनान की सांस लेकरआशीर्वाद की नजरों से वह... अपनी अर्धांगिनी, अपने बच्चों.. और... अपने पोते पोतियों का मुख देखता है... ........ •••••स्मार्ट वर्क की परिभाषा नहीं जानता वहनहीं हार्ड वर्क का व्याख्यान•••••बस भोर होते ही..-------- उसकी खत्म हो जाती है थकान... दुनिया चांद तारों को छूती हैवह छूता है परिवार के मर्म