उजाले की ओर ---संस्मरण

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उजाले की ओर---संस्मरण ----------------------- सभी मित्रों को स्नेहिल नमस्कार कई बार बड़े अजीब से सवाल हमारे सामने आ खड़े होते हैं और हमें आश्चर्य के साथ पीड़ा भी देते हैं | सबसे पहला प्रश्न तो यह उठता है कि हम मनुष्य मनुष्य में कैसे इतना भेदभाव कर सकते हैं ? कोई सुंदर है अथवा असुंदर मनुष्य तो है ,उसको भी तन और मन से उतनी ही पीड़ा होती है जितनी कि हमें | हम भूल ही जाते हैं और हमें केवल अपनी ही पीड़ा दिखाई देती है | मित्रों ! कुछ बातें तो हमें सोचनी ही होंगी | मेरे मन