साक्षरता 

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गुस्से में तिलमिलाती रुहानी ने घर में आते ही अपना स्कूल बैग फेंकते हुए कहा, "पापा मैं अब कल से स्कूल नहीं जाऊँगी।" उसके पिता रमेश ने पूछा, "अरे क्या हुआ बेटा, ऐसा क्यों बोल रही हो?" रुहानी ने रोते हुए अपने पिता से पूछा, "पापा हम क्यों इतने छोटे से घर में रहते हैं? हम इतने गरीब क्यों हैं? मेरी कक्षा की लड़कियाँ अच्छे-अच्छे स्कूल बैग, सुंदर टिफिन और स्वादिष्ट नाश्ता लेकर आती हैं। मेरे डब्बे से नाश्ता लेना कोई पसंद नहीं करता और कोई मुझे अपनी सहेली नहीं बनाता, ऐसा क्यों है पापा? मुझे पढ़ाई नहीं करना।" पग-पग