क्षण भर का स्पर्श-सुनीता डी.प्रसाद

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क्षण भर का स्पर्श -सुनीता डी. प्रसादप्रेम में डूबी अच्छी कविताओं का संग्रहसमीक्षक-राज बोहरेवर्तमान समय में जब चारों ओर नफरत औऱ दुश्मनी की आग बरस रही हो, तब प्रेम की शीतल धार और प्यार की खुशबूदार हवा मन व मस्तिष्क को ठंडक पहुंचाती है। सुप्रसिद्ध कवि विष्णु सक्सैना ने लिखा है- तपती हुई ज़मीं है जलधार बांटता हूं ।पतझर के रास्तों में मैं बहार मांगता हूं। यह आग का है दरिया जीना है बहुत मुश्किल , नफरत के दौर में भी मैं प्यार बांटता हूं ।कवयित्री सुनीता डी. प्रसाद भी ऐसे ही बैर व नफरत भरे माहौल में प्रेम की