लीला - (भाग 20)

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अरविंद का घर मोहल्ले की दूसरी गली में था। माली हालत अच्छी नहीं थी उसकी और दो जवान बेटियाँ थीं घर में। गुण्डों के मारे आए दिन नाक में दम था। सुबह से ही घर घेर लेते। सेठानी किवाड़ दिये लड़कियों को भीतर ठूँसे रखतीं। लेकिन लड़कियाँ ऊबतीं और छत पर जातीं या खिड़की-दरवाज़े पर तो लफंगे सरेआम फब्तियाँ कसते। गली से बजर उठा ऐसे फेंक उठते उन पर, जैसे, दरवाज़े पर चढ़ आए दूल्हे पर दुल्हन और उसकी सखियाँ चावल फेंकती हैं! कभी चिट्ठियों में उल्टी-सीधी अश्लील बातें लिख दरवाज़े पर डाल देते और चिढ़ाते हुए कहते, ‘डाकिया डाक