कुछ देर में वे लोग हरिजन थाने में खड़े थे। रिपोर्ट बाक़ायदा नामज़द कराई गई हरिजन एक्ट के तहत। वहाँ से लौटते वक़्त नंगे मास्साब ने कहा, ‘‘कलेक्टर साब से और मिल लो, हरिजनों की अच्छी सुनते हैं!’’ तो वह बेहद कृतज्ञ हो उठी, ‘‘रावण की लंका में आप तो भक्त विभीषण की तरह मिले हैं मुझे...।’’ नेत्र सजल हो उठे थे। नंगे बोले, ‘‘वो इंसान भी क्या जो म़ौके पर काम ना आए! तुम्हारी तो उमर ही क्या है अभी, हमसे पूछो, बाल पक गए... इसी बुरी दुनिया में एक से एक भलेमानस पड़े हैं।’’ फिर वे घर लौट