लीला - (भाग-11)

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गाँव में रहना मुश्किल हो रहा था। बदनामी सिर ऊपर होने लगी थी। और...टूला को तो कोई ख़ास एतराज न था, पर अजान के टूला में पड़े रहने से अहीर थोक की नाक जड़ से कटी जा रही थी। बाप की आँखें हमेशा लाल बनी रहतीं। चचेरे भाई भी उस पर थूकते और बात-बेबात अवहेलना कर उठते। भाभी, चाची, माँ, बीवी और बहनें आँखें चुरातीं। वह वैसे भी घर में कम आता, पर जब आता तभी कलेश मच जाता। घबराकर लीला से कहता कि अब तो ये गाँव हमेशा के लिये छोड़ देने का समय आ गया है! लीला को