सूर्यपाल सिंह का साहित्य-एक धरोहर

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सूर्यपाल सिंह का साहित्य-एक धरोहर रामगोपाल भावुक प्रसिद्ध समालोचक बजरंग बिहारी तिवारी के सौजन्य से अपनी रत्नावली उपन्यास का विमोचन कराने गौंडा जाने का अवसर मिला। किस्साकोताह के सम्पादक श्री ए. असफल जी को भी बुलाया गया था। हम दोनों ने बरौनी मेल से रिजर्वेशन करा लिया। श्री बजरंग बिहारी जी के निर्देशानुसार गौंडा स्टेशन पहुँचकर श्री सूर्यपालसिंह जी को फोन लगाया। वे बोले-’मैं स्टेशन आ रहा हूँ।’ हम दोनों स्टेशन से बाहर आ गये। हम उनसे मिलने बेचैन हो रहे थे कि कुछ देर बाद हट्टे- कट्टे एक वयोवृद्ध व्यक्ति सामने खड़े थे। मुझे विश्वास नहीं हुआ कि ऐसा