अपंग - 10

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10--- दो दिन बीतते न बीतते भानु बहुत मायूस और तनावग्रस्त हो उठी | उसे अपने भारत की याद इतनी शिद्दत से आती कि उसका मन करता वह वहाँ से अभी छलांग भरकर अपने घर, अपनी माँ की गोद में चली जाए | वहाँ पर दिन कैसे गुज़र जाते थे, पता ही नहीं चलता था| बाबुल का प्यार, माँ का आँचल सब छोड़कर वह इस देश में जिसके सहारे चली आई थी उसका तो रवैया ही न जाने क्या और कैसे बदल गया था? वहाँ उसकी सहेलियाँ होतीं, उनके साथ घूमना-फिरना, कहकहे, शैतानियाँ, क्या नहीं करती रहती थी | यहाँ