मॉटरनी का बुद्धु - (अंतिम भाग)

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मॉटरनी का बुद्धु--(भाग-21)संध्या अपने दोनो परिवार वालों से मिल कर बहुत खुश हो गयी थी। उसका आत्म विश्वास धीरे धीरे लौट रहा था। भूपेंद्र या सभ्यता के आसपास न होने से वो पहले जैसी बेचैन नहीं हो रही थी। कई बार बीच में संभव आया तो सब के साथ कार में भी गयी। ट्रैफिक की आवाजें और शोर से लगने वाला डर कम हो रहा था। फिर भी वो तीनो को पैदल सड़क पार नही करने देती। संभव को बाइक कभी न चलाने के लिए उसने मना लिया। संभव को मॉम वापिस मिल गयी थी, वो उनके लिए खुशी खुशी