ममता की परीक्षा - 15

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एम्बुलेंस में निश्चल पड़ी रजनी की बगल में बैठे सेठ जमनादास के चेहरे पर हवाइयाँ उड़ रही थीं। चिंता की गहरी लकीरों के साथ ही मन मस्तिष्क में विचारों के बवंडर की स्पष्ट छाप भी उनके चेहरे पर स्पष्ट नजर आ रही थी। 'ये अचानक रजनी को क्या हो गया ?.. अमर के न मिलने का सदमा तो नहीं ? पता नहीं क्या दर्द झेल रही है मेरी बच्ची ? ' उसकी स्थिति का भान होते ही उन्होंने अपनी उल्टी हथेली उसके नथुने के सामने रखकर उसकी साँसों का जायजा लिया। साँसें सुचारू रूप से चलती महसूस कर जमनादास जी