यासमीन - भाग 6

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यासमीन सोचते हुए....." काश अगर अब्बू घर आ गए तो मैं फकीर बाबा को घर लेकर आऊंगी वो अल्लाह के नेक बन्दे हैं उनकी इबादत में खुद को फकीर बना लिया है । कितना बेहतरीन गायन कर रहे थे कि छोड़ दे सारे फिक्र तू बन्दे अल्लाह पार लगाएगा .......!! और उनका हारमोनियम जो गले मे पहने थे वो धूल मिट्टी पड़ने से बेहतर काम नही कर रहा था लेकिन बाबा ने इसकी परवाह नही की वे कितना तल्लीन होकर इबादत कर रहे थे । क्या वो दुबारा मिलेंगे .....?? वह सोच रही थी सजे कदम धीरे धीरे बढ़ते गए