समुद्र की लहरें...

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शाम का वक्त,मुम्बई शहर के एक घर में.... बता के तो जा कि कहाँ जा रहा है?लक्ष्य की माँ ने पूछा।। वहाँ जा रहा हूँ जहाँ थोड़ी देर शान्ति मिल सकें,मैं छुट्टियाँ बिताने घर क्या आ जाता हूँ,पापा को तो जैसे आफत ही आ जाती है मेरे घर आने से,उनकी कुड़कुड़ ही खत्म नहीं होती, लक्ष्य बोला।। पापा की बातों का क्या बुरा मानना?वो जो भी कहते हैं तेरी भलाई के लिए ही तो कहते हैं,लक्ष्य की माँ बोली।। माँ! अब मैं बालिग़ हो गया हूँ,अपना भला बुरा खूब समझता हूँ,मुझे भी पता है कि मेरे बी.टेक. का आखिरी साल