बाल कथाएं - 2 - अहँकार ही हार है

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एक बार की बात है नजबगढ़ में दो भाई रहते थे अनिकेत और निकेत। अनिकेत पढ़ने में बहोत होशियार था और निकेत थोड़ा कमजोर था। अनिकेत दिन में सिर्फ़ एक घन्टे पढ़ताथा था और कक्षा में अव्वल आ जाता था परन्तु निकेत निकेत दिन में 10 घण्टे पढ़कर भी कक्षा में फेल जाता था निकेत और अनिकेत के माता पिता हमेशा अनिकेत की प्रसंशा करते थे।और निकेत को अच्छी तरह पढाई करने को कहते थे। लगभग स्कूल की सभी टीचर्स का भी स्कूल में यह ही बर्ताव था हर जगह अनिकेत की वाह वाह होती थी औऱ निकेत का मजाक