श्वानों में बहुत समझ होती है वे साथ रहते रहते अपनी इच्छा प्रगट करने के तरीके खुद ढूंढ लेते हैं । भगवान ने इंसानों की तरह उन्हें भाषा बोलने की क्षमता तो नही दी किन्तु वे हमारी भाषा बहुत अच्छे से समझ ने लगते हैं । वे अपनी चाहत भी प्रगट करते हैं जैसे जैसे इनकी उम्र बढ़ती है इनकी समझ भी बढती जाती है । हम भी उनके इशारों को समझने लग जाते हैं । जब हम उनसे पूछते हैं तो वे इशारा हां का किसी न किसी रूप मे प्रगट कर देते हैं जैसे हम अपने छोटे बच्चों