उजाले की ओर ---संस्मरण

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उजाले की ओर ---संस्मरण ----------------------- नमस्कार मित्रों जीवन के सफर मे राही मिलते हैं बिछुड़ जाने को ---लेकिन ज़रूरी नहीं कि वे आहें और आँसू ही लेकर बिदा हों | आए हैं तो जाएँगे राजा ,रॅंक ,फकीर ---क्या सच्ची बात कह गए कबीर ! एक ऐसा जुलाहा जो जीवन की चादर बुनते -बुनते इतनी बड़ी-बड़ी बातें कह गया कि सच में उन्हें हर पल नमन बनता है | हम तो शिक्षित हैं ,अपने आपको आधुनिक भी कहते है और अपने गानों के ढ़ोल भी खुद पीटते हैं किन्तु ज़रा सी परेशानी होने पर हम अपनी वास्तविकता पर आ जाते हैं