भाग -9 मेरे सामने इस वक्त धुंध की आकृतियां ,जिनके अंदर से खून निकल कर उस जलधारा के जल में मिल रहा था ,मेरी सांसे बढ़ने लगी थी और मेरे कदम अब धीरे-धीरे पीछे की तरफ हटने लगे थे, मैं भागने का विचार बना चुका था पर तभी उन धुंध की आँखे जैसे एकदम से खुल रही हो और उन्होंने मुझे देख लिया हो,पेड़ों के पत्ते बहुत बुरी तरह से हिलने लगे थे और उनकी सरसराहट की आवाज कानों के पर्दो को एकदम से चीरने लगी थी,,, और तभी वहां से एक विशाल धुंध निकलने लगी थी, जिसका काला रंग